डायबिटीज यानी मधुमेह नामक बीमारी भारत ही नहीं दुनिया के कई बड़े-बड़े देशों में बड़ी ही आम हो चुकी है। आज भारत में 10 में से 3 व्यक्ति डायबिटीज यानी मधुमेह से ग्रसित है।
डायबिटीज बड़ी ही तेजी के साथ मनुष्य को अपना गुलाम बना रही है ऐसे में हर व्यक्ति को अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है, ताकि वे इस बीमारी से लड़ सके। सेहत का ख्याल हम दो तरीकों से रख सकते हैं आहार और व्यायाम के द्वारा।
मधुमेह यानि डायबिटीज होने पर अपने आहार और व्यायाम की आदतों में सबसे पहले सुधार करना चाहिए। डायबिटीज होने पर डॉक्टर सबसे पहले यह सलाह देते हैं कि अपने खान-पान की आदतों में सुधार करें और प्रतिदिन व्यायाम को अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
इसका एक सबसे बड़ा कारण तो यह है कि अपनी कुछ आदतों को सुधार कर ब्लड शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है और यदि ब्लड शुगर नियंत्रित रहा तो वह मनुष्य के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की जटिलताएं पैदा नहीं करेगा।
अपने डाइट यानी आहार पर यदि कोई व्यक्ति नियंत्रण नहीं रखता है तो उसकी वजह से डायबिटीज के मरीजों में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे हृदय रोग, गुर्दे की क्षति या पैर में संक्रमण इत्यादि।
अक्सर डायबिटीज के मरीजों को चावल ना खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि चावल में उच्च कार्बोहाइड्रेट शामिल होते है। चावल का अत्यधिक सेवन करने से डायबिटीज के मरीज में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है जिसके कारण उन्हें चावल से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
तो क्या सच में डायबिटीज के मरीजों को चावल नहीं खाना चाहिए?
डायबिटीज में डाइट का महत्त्व
डायबिटीज यानी शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए आहार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना व्यायाम। डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है या जब शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी के रूप में काम करता है।
इंसुलिन एक हार्मोन है जो ब्लड शुगर को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। जब इंसुलिन शरीर में नहीं बन पाता तो शरीर की कोशिकाओं द्वारा ब्लड शुगर का अवशोषण काम हो जाता है और इस प्रकार उच्च ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है जिसे डायबिटीज कहते हैं।
जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो भोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है। कुछ खाद्य पदार्थ तेजी से ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं तो कुछ को ग्लूकोस बनाने में काफी समय लग जाता है।
जो भोजन ग्लूकोस शरीर में जल्दी बनाते हैं उनका जी आई स्कोर अधिक होता है ऐसे भोजन शरीर में हाई ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देते हैं। और यह डायबिटीज संबंधी जटिलताओं का कारण भी बन जाते हैं।
इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि डायबिटीज के रोगियों को उच्च की स्कोर वाले भोजन से बचना चाहिए इस प्रकार डायबिटीज रोगियों को डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए आहार विशेषज्ञ के निर्देशों के अनुसार ही आहार लेना चाहिए।
क्या डायबिटीज में चावल खाना चाहिए?
चावल दुनिया भर में कई लोगों की आहार योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैसे तो कई प्रकार के चावल होते हैं जैसे सफेद चावल भूरा चावल बासमती चावल चमेली चावल इत्यादि। इन सभी चावल की विशेषताएं और कार्य अलग है।
चावल में पोषक तत्व भी होते हैं जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकते हैं। चावल का सही मात्रा में और सही प्रकार का चावल भोजन में शामिल करने से कई बीमारियों से बचा भी जा सकता है।
चावल में पाए जाते हैं ये तत्व
उच्च कार्बोहाइड्रेट सामग्री फाइबर की समृद्ध मात्रा कैल्शियम मैग्नीशियम फॉस्फोरस पोटेशियम जिंक और आयरन यह सभी चावल में मौजूद तत्व है। चावल में कई प्रकार के विटामिन भी पाए जाते हैं। दुनिया भर के कई देशों में चावल एक मुख्य आहार है।
चावल में काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट उच्च ग्लिसमिक इंडेक्स और उच्च ग्लिसमिक लोड होता है। चावल की की स्कोर भी बहुत अधिक होती है इस वजह से ज्यादा चावल का सेवन डायबिटीज के मरीजों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
इसलिए डायबिटीज के मरीजों को चावल से दूर रहने की सलाह दी जाती है या फिर डाइटिशियन के निर्देशों के अनुसार कम मात्रा में चावल का सेवन करने के लिए कहा जाता है।
सफ़ेद चावल से बढ़ता है खतरा
कई प्रकार के अध्ययनों से पता चला है कि सफेद चावल का अधिक मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज का खतरा 11% तक बढ़ जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार यदि चावल का जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए तो यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग ज्यादा मात्रा में सफेद चावल कहते हैं उनमें टाइप टू डायबिटीज विकसित होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति को परी डायबिटीज है तो उन्हें चावल के सेवन के बारे में विशेष रूप से ईमानदार होना चाहिए क्योंकि जरा सी भी लापरवाही डायबिटीज की ओर ले जाएगा।
डायबिटीज में कौन से चावल का करें सेवन?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक दुनिया भर के काफी सारे देशों में डायबिटीज को लेकर कई रिसर्च और सर्वे किए गए हैं। जिसमें यह पाया गया कि सफेद चावल मरीज के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है इसकी तुलना में यदि कोई डायबिटीज का मरीज ब्राउन राइस का सेवन करता है तो उन्हें खतरा कम है।
इसका एक कारण यह है कि सफेद चावल मरीज के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होते हैं और सफेद चावल का सेवन करने से ग्लूकोज भी शरीर में बहुत जल्द बनने लगता है इसकी तुलना में ब्राउन राइस डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है।
यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही मधुमेह है यानी डायबिटीज है तो उन्हें कम मात्रा में चावल का सेवन करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार प्रति भोज 45 से 60 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाने का लक्ष्य डायबिटीज के मरीजों को रखना चाहिए इसके अलावा चावल का चयन करना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि चावल की कुछ किस्म का की स्कोर अन्य की तुलना में काम होता है।
छोटे अनाज वाले सफेद चावल में उच्च जी आई स्कोर होता है। इसलिए छोटे दाने वाले सफेद चावल खाने से बचना चाहिए। डायबिटीज के मरीज तीन तरह के चावल का सेवन कर सकते हैं जिससे मरीजों को नुकसान नहीं होगा।
- ब्राउन राइस
- वाइल्ड राइस
- लंबे दाने वाले बासमती राइस
इनमें से ब्राउन या वाइल्ड राइस का चुनाव करना सबसे अच्छा है क्योंकि इस प्रकार के चावल में सफेद चावल की तुलना में अधिक फाइबर सामग्री होती है इसलिए शरीर को उन्हें पचाने में अधिक समय लगता है।
जिससे ग्लूकोस धीरे-धीरे रक्त प्रवाह में चला जाता है और इस तरह ब्राउन राइस खाने के बाद ब्लड शुगर तेजी से नहीं बढ़ता। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन तीनों में से किसी भी तरह के चावल का इस्तेमाल करने से पहले मरीज को अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए क्योंकि अगर वे सलाह नहीं लेते हैं तो चावलों का सेवन करने से उन्हें नुकसान भी हो सकता है।
ब्राउन राइस डायबिटीज के मरीजों के लिए क्यों अच्छा है?
यदि किसी मरीज को चावल ज्यादा पसंद है तो वह सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइस में विटामिन, मिनरल और फोलेट अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जिस इंसान को काफी फायदा होता है।
ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है जिसके कारण ब्राउन राइस अधिक वजन वाले लोगों के साथ-साथ टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में भोजन के बाद रक्त शुगर के स्तर को काफी कम कर देता है। ब्राउन राइस में मैग्नीशियम की मात्रा भरपूर होती है इस वजह से यह सफेद चावल के मुकाबले डायबिटीज के मरीज के लिए कम नुकसानदेह होते हैं।
टाइप टू डायबिटीज वाले कुछ जवानों में एक अध्ययन में ब्राउन राइस की दो सर्विंग खाने के बाद रक्त शर्करा किस तरह और हीमोग्लोबिन के स्तर में समान मात्रा में सफेद चावल खाने की तुलना में उल्लेखनीय कमी आई।
इसे पता चलता है कि ब्राउन राइस व्हाइट राइस से बेहतर है और डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद भी। पर मरीजों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि सफेद हो या फिर ब्राउन राइस जरूरत से ज्यादा सेवन दोनों का ही नुकसानदायक है।
डायबिटीज में किन तरीकों से खाएं चावल?
अध्ययन में पाया गया है कि खाना पकाने का समय भोजन के जी आई स्कोर को बदल सकता है। इसलिए चावल पकाते समय सावधान रहना चाहिए और अपने चावल को ज्यादा नहीं पकाना चाहिए। चावल को बनाने का सबसे सही तरीका यह है कि उसको किसी खुले बर्तन में बनाना चाहिए।
डायबिटीज में चावल का कितना भाग खाना चाहिए?
डायबिटीज में चावल का कितना भाग खाना चाहिए इसका कोई सटीक नियम तो नहीं है, लेकिन आपके शरीर के संतुलन ब्लड शुगर की मात्रा को ध्यान में रखते हुए डाइटिशियन की सलाह अनुसार ही चावल का सेवन करना चाहिए।
चावल के हिस्से के आकार को देखने के अलावा यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि चावल संतुलित आहार का सिर्फ एक हिस्सा है प्रत्येक भोजन में अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाने की कोशिश करना चाहिए जैसे प्रोटीन वसा वाले भजन फल और काम कार्ब वाली सब्जियां।
अंत में
दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए दैनिक आहार में चावल एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लेकिन अधिक मात्रा में चावल खाना डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी हानिकारक है।
बहुत अधिक सफेद चावल टाइप टू डायबिटीज के लिए जो काम बढ़ा सकता है और डायबिटीज होने पर रक्त शर्करा बढ़ा सकता है लेकिन कम मात्रा में ब्राउन राइस डायबिटीज के लिए काफी अच्छे हो सकते हैं।
चाहे किसी भी तरह की डायबिटीज हो विशेषज्ञ चावल को पूरी तरह से छोड़ने की सलाह नहीं देते। डायबिटीज में मैरिज चावल खा सकते हैं लेकिन एक सीमित मात्रा में। चावल खाते वक्त इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि चावल में कोई ना कोई पौष्टिक आहार मिलाकर खाएं ऐसा करने से ज्यादा नुकसान शरीर को नहीं पहुंचता और डायबिटीज भी कंट्रोल में रहती है।